मझधार में खड़ी तेरी नाव को लिखूं या फिर अपनी ज़िंदगी के गुलज़ार को लिखूँ! मझधार में खड़ी तेरी नाव को लिखूं या फिर अपनी ज़िंदगी के गुलज़ार को लिखूँ!
क्या पता कब तुम्हें और एक, आशियाने की जरूरत पड़ जाए ? क्या पता कब तुम्हें और एक, आशियाने की जरूरत पड़ जाए ?
सुन रहा है बात मेरी यार ये, आज तो दिल भी मुझे अच्छा लगा। सुन रहा है बात मेरी यार ये, आज तो दिल भी मुझे अच्छा लगा।
लिख दूँ कि फिर एक बार चाहिए थोड़ा या ज्यादा तुम्हारा प्यार चाहिए लिख दूँ कि फिर एक बार चाहिए थोड़ा या ज्यादा तुम्हारा प्यार चाहिए
समुंदर की गहराई, नापने चला नापता रहा। समुंदर की गहराई, नापने चला नापता रहा।
अभी इन उलझनों की शाम की भी रात तो होगी। अभी इन उलझनों की शाम की भी रात तो होगी।